एक मंदिर का निर्माण होण लागरया था अक एक मजदूर घनिए ऊंचाई तैँ पड़ग्या । उसकी जान तो बचगी फेर चोटें बहुत आईं। एक पंडित जो दूर खड़या खड़या उसनै गिरता देखै था भाज कै उसके धोरै आया अर उसनै जिंदा पाकै बोल्या --: भगवान तेरी गेल्यां था बेटे। मजदूर कराहते हुए बोल्या --: हां कोए ना कोए जरूर मेरी गेल्याँ था वरना म नै घक्का कौन देता।
रमलू ट्रेन मैं टॉयलेट जाकै उल्टा आया ताऊ घना परेशान था ।\ कमलू भी था साथ मैं वो बोल्या -- के बात ~ इतना परेशान क्यूँ सै ?\ रमलू -- टॉयलेट के छेद मैं बटुआ पड़ग्या । कमलू -- फेर चैन क्यूँ नहीं खिंची ? रमलू -- दो बै खिंची फेर दोनूं बर पानी बह्वन लाग्या ।