टीचर-संता, बताओ जवानी और बुढ़ापे में क्या फर्क है? संता-टीचर जी, सीधी सी बात है.जवानी में मोबाइल में हसीनों के नंबर होते हैं.और बुढ़ापे में हकीमों के।
टीचर- क्या तुम बता सकते हो अपनी भाषा को मातृभाषा क्यों कहते हैं, पितृभाषा क्यों नहीं? संता-सर क्योंकि हमारे देश में पिता को मुश्किल से कभी बोलने का मौका मिलता है..
संता एग्जाम देने गया तो अपने साथ प्लंबर को भी ले गया। क्यों? क्योंकि उसे खबर मिली थी कि पेपर लीक हो गया है!
व्यस्त रहने और जिंदगी की परेशानियों के बीच लोग हंसना, मुस्कुराना और खिलखिलाना कम कर देते हैं। इस वजह से वे मानसिक तनाव के भी शिकार हो जाते हैं।